Dec 23, 2007

Rajnikant @ his best


Classic one

Dec 22, 2007

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?

Dec 15, 2007

Nostalgia

गुनाहों का देवता


कौन सा गुनाह कैसा गुनाह!

किसी से ज़िंदगी भर स्नेह रखने का.. ..और जब वो स्नेह अप्नी पराकास्था पर पहुचने लगे तो उसका त्याग करने का ..

हैं न अजीब बात!

पर यही तो किया चंदर ने अपनी सुधा के साथ

इस भुलावे में की दुनिया प्यार की ऐसी पवित्रता के गीत जायेगी

प्यार भी कैसा ...

सुधा घर भर में अल्हड़ पुरवाई की तेरह तोड़ फोड़ मचने वाली सुधा , चंदर की आँख के एक इशारे से सुबह की नसीम की तेरह शांत हो जाती थी . .

कब और क्यूँ उसने चंदर के इशारों का यह मौन अनुशाशन स्वीकार कार लिया था , ये उसे खुद भी मालूम नाहीं था और ये सब इतने स्वाभाविक ढंग से इतना अपने आप होता गया की कोई इस प्रक्रिया से वाकिफ नाहीं था …