Apr 20, 2011

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1. "हीरों की बस्ती में हमने काँच-काँच बटोरे हैं,कितना लिखा फ़साना फिर भी सारे काग़ज़ कोरे हैं ।" : म. सिंह


2. ‎"रात की ओस दरख्तों पे गिरी होगी ज़रूर,. ज़िन्दगी अपनी भी कुछ यूँ ही कटी होगी ज़रूर|
ज़िक्र आता है तो झुक जाती हैं आँखें उसकी, मुझसे मिलने की खलिश दिल में छुपी होगी ज़रूर||" - ज़ैदी जाफ़र

3. "कहानी में तो किरदारों को जो चाहे बना दीजे | हक़ीक़त भी कहानी कार हो ऐसा नहीं होता ||" : निदा फ़ाज़ली

4. "अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो कि दास्ताँ आगे और भी है" - Guljar

5. "जो वादा तूने किया नहीं, मुझे उस पे क्यों कर यकीन था।
ये तेरे हुनर की हद थी, यामेरे जुनू का था वाकया।।" - शार्दुला